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श्रमण : अतीत के झरोखे में
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लेख
ई० सन् १९९५
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सकारात्मक अहिंसा की भूमिका सदाचार के शाश्वत मानदण्ड सदाचार के मानदण्ड और जैनधर्म समाधिमरण की अवधारणा की आधुनिक परिप्रेक्ष्य में समीक्षा सम्राट अकबर और जैनधर्म " स्याद्वाद और सप्तभंगी : एक चिन्तन स्त्रीमुक्ति, अन्यतैर्थिकमुक्ति एवं सवस्त्रमुक्ति का प्रश्न हरिभद्र की क्रान्तदर्शी दृष्टि-धूर्ताख्यान के सन्दर्भ में हरिभद्र के धर्म दर्शन में क्रान्तिकारी तत्त्व 'सम्बोधप्रकरण' के सन्दर्भ में हरिभद्र के धूर्ताख्यान का मूल स्रोत : एक चिन्तन
पृष्ठ ६९-८६ १३४-१४९ २२-२७ ९९-१०१ ७१-७६ ३-४४ ११३-१३२ २१-२५ ९-२० २६-२८
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साधक
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युगदृष्टा महावीर साधुसंतों की सेवा में सिद्धराज ढट्ठा जीवनकला की शोध करें जैनधर्म हम सँभलें
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