________________
Jain Education International
४-६
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख जैन आगमों में मूल्यात्मक शिक्षा और वर्तमान सन्दर्भ जैन आगमों में हुआ भाषिक स्वरूप परिवर्तन : एक विमर्श जैन एकता का प्रश्न जैन एवं बौद्ध धर्म में स्वहित एवं लोकहित का प्रश्न जैन एवं बौद्ध धर्म में स्वहित एवं लोकहित का प्रश्न जैन एवं बौद्ध पारिभाषिक शब्दों के अर्थ निर्धारण और अनुवाद की समस्यायें जैन कर्म सिद्धान्त : एक विश्लेषण जैन दर्शन में नैतिकता की सापेक्षता जैनधर्म और आधुनिक विज्ञान जैनधर्म और सामाजिक समता जैनधर्म और हिन्दूधर्म (सनातन धर्म) का पारस्परिक सम्बन्ध जैनधर्म का एक विलुप्त सम्प्रदाय-यापनीय
४-६
For Private & Personal Use Only
१-३ ४-६ १०-१२ ४-६
ई० सन् १९९४ १९९४ १९८३ १९८१ १९८१ १९९४ १९९४ १९९५ १९९२ १९९४ १९९६ १९८८ १९८८ १९९५
३२५ पृष्ठ १६२-१७२ २३९-२५३ १-२७ २-१० ५-१३ २३४-२३८ ९४-१२७ १२३-१३३ १-१२ १४४-१६१ ३-१० १-१६ १-१८ १५०-१६५ १-३९ १-१३ ७७-११२ १५७१६०
जैनधर्म का लेश्या-सिद्धान्त : एक विमर्श जैनधर्म के धार्मिक अनुष्ठान एवं कलातत्त्व जैनधर्म-दर्शन का सारतत्त्व जैनधर्म में अचेलकत्व और सचेलकत्व का प्रश्न जैनधर्म में आध्यात्मिक विकास
www.jainelibrary.org
१९९४ १९९७ ११९७