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ई० सन् १९६० १९५९ १९५० १९५२
३०९ पृष्ठ ३२-३७ २९-३२ २३-२७
१९८२
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख विकास की तीन सीढ़ियाँ श्रमण महावीर का युग संदेश संस्कृति का प्रश्न ज्ञान सापेक्ष है वीरेन्द्र कुमार जैन दुर्दान्त दस्यु दया का देवता बना विश्व बन्धु जीवन दृष्टि विश्वनाथ पाठक तरंगलोला और उसके रचयिता से सम्बन्धित भ्रान्तियों का निवारण ध्वन्यालोक एवं दशरूपक की दो प्राकृत गाथाएं : एक चिन्तन दशरूपक की एक अण्याख्यात गाथा वज्जालग्ग की कुछ गाथाओं के अर्थ पर पुनर्विचार वज्जालग्ग की कुछ गाथाओं पर पुनर्विचार श्रीविज्ञ जैन ज्योतिष तिथि-पत्रिका संवत्सरी और आचार्य श्री सोहनलाल जी म०
१९६१
२५-२६
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१०-१२
१९९५ १९७९ १९८२ १९७९ १९८०
१५-२३ ३२-३६ २०-२१ ३-८ ३-७
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१९५६ १९५५
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