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३०६
श्रमण : अतीत के झरोखे में
Jain Education International
अंक
ई० सन्
पृष्ठ
६
१९६५
३०-३१
लेख विद्याभिक्षु 'आधुनिक' पुनरुत्थान विद्यावती जैन हिन्दी जैन साहित्य का विस्मृत बुन्देली कवि : देवीदास मुनि विद्याविजय जी सेवा का अर्थ विधुशेखर भट्टाचार्य कलकत्ता विश्वविद्यालय में संस्कृत का उच्च शिक्षण
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१०-१२ १०-१२
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मुनि विनयचन्द जी हृदय का माधुर्य-करुणा विनयतोष भट्टाचार्य जैनमूर्तिकला महो० विनयसागर जी अविद पद शतार्थी विनोद कुमार तिवारी आज के सन्दर्भ में जैन पंचव्रतों की उपयोगिता
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