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१४८
लेख
जैन भाषा दर्शन की समस्याएं उपदेशमाला (धर्मदास गणि) एक समीक्षा
अर्हं परमात्मने नमः
प्राकृत व्याकरण : वररुचि बनाम हेमचन्द्रअन्धानुकरण या विशिष्ट प्रदान
बसन्तविलासकार बालचन्द्रसूरि : व्यक्तित्व एवं कृतित्त्व अन्य प्रमुख भारतीय दर्शनों एवं जैन दर्शन में
कर्मबन्ध का तुलनात्मक स्वरूप ऋग्वेद में अहिंसा के सन्दर्भ
जैन आगमों में वर्णित जातिगत समता
आचारांग में अनाशक्ति
जैन अभिलेखों की भाषाओं का स्वरूप एवं विविधताएं
महावीर निर्वाण भूमि पावा- एक विमर्श समाधिमरण की अवधारणा की आधुनिक
परिप्रेक्ष्य में समीक्षा
पंचपरमेष्ठि मन्त्र का कर्तृत्व और दशवैकालिक मूल अर्धमागधी के स्वरूप की पुनर्रचना
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
श्रीमती अर्चनारानी पाण्डेय
दीनानाथ शर्मा
प्रो० कल्याणमल लोढ़ा
के० आर० चन्द्र डॉ० यदुनाथ प्रसाद दुबे
कु० कमला जोशी
डॉ० प्रतिभा त्रिपाठी
डॉ० इन्द्रेश चन्द्र सिंह
डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय
डॉ० एस० एन० दुबे
श्री भगवतीप्रसाद खेतान
० सागरमल जैन
साध्वी (डॉ०) सुरेखा श्री
डॉ० के० आर० चन्द्र
डॉ०
वर्ष
चे चे चे के
४२
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चे चे चे चे चे चे
४२
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अंक
१-३
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४-६
४-६
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७-१२
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ई० सन्
१९९१
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१९९१
१९९१
पृष्ठ
९३-९६
१७-१००
१-१०
११-१९
२१-३२
३३-४३
४५-६२
६३-७२
७३-८८
८९-९२
९३-९८
९९-१०१
१-१०
११-१५