Book Title: Shraman Atit ke Zarokhe me
Author(s): Shivprasad, Vijay K Jain, Sudha Jain, Asim Mishra
Publisher: Parshwanath Vidyapith
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
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ई० सन् १९८७ १९९६ १९८८ १९८७ १९८९
२५-३१ ४७-५९ १२-१७ १३-१८ १६-२०
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लेख मरण के विविध प्रकार वैदिक एवं श्रमण परम्परा में ध्यान समाधिमरण का स्वरूप समाधिमरण की अवधारणा : उत्तराध्ययनसूत्र के परिप्रेक्ष्य में सल्लेखना के विभिन्न पर्यायवाची शब्द रतनचन्द जैन जैन आचार में इन्द्रियदमन की मनोवैज्ञानिकता पंचकारण समवाय बन्ध के कार्य में मिथ्यात्व और कषाय की भूमिकाएँ रत्नचन्द जैन शास्त्री
क्रांतिकारी महावीर है रत्ना श्रीवास्तव
कर्म की नैतिकता का आधार-तत्त्वार्थ सूत्र के प्रसंग में स्याद्वाद एवं शून्यवाद की समन्वयात्मक दृष्टि रतनकुमार जैन कानों सुनी सो झूठ सब चमत्कार को नमस्कार
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