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श्रमण : अतीत के झरोखे में
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लख
अंक
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ई० सन् १९६५ १९९१ १९७७ १९९१ १९७३ १९९१ १९६७
प्राकृत व्याकरण: वररुचि बनाम हेमचन्द्र : अंधानुकरण या विशिष्ट प्रदान प्राचीन प्राकृत ग्रंथों में उपलब्ध भगवान् महावीर का जीवन-चरित्र भरतमुनि द्वारा प्राकृत को संस्कृत के साथ प्रदत्त-सम्मान और गौरवपूर्ण स्थान महाकथा कुवलयमाला के रचनाकार का उद्देश्य और पात्रों का आयोजन मूल अर्धमागधी के स्वरूप की पुनर्रचना राक्षस : एक मानव वंश रामकथा-विषयक कतिपय भ्रान्त-धारणायें विद्याधर : एक मानव जाति विश्वेश्वरकृत शृंगारमंजरी सट्टक का अनुवाद क्रमश:
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पृष्ठ १३-१८ ११-१९ ३-१० ७१-७४ १०-१३ ११-१५ ८-१२ ३२-३४ १८-२० ३४-३८ २०-२३ २८-३२ ३०-३४ ३३-३५ ३२-३७ ३६-३८ २२-२६
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