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श्रमण : अतीत के झरोखे में
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लख
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ई० सन् १९७३ १९७३
१९७३ . १९६७
१९९७ १९७३
२०५ पृष्ठ २५-३० २९-३६ १६-१९ ९-१२ ४५-५२ १६-२१
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राम कथा के वानर : एक मानव जाति षट्प्राभृत के रचनाकार और उसका रचनाकाल सर्वांगसुन्दरी-कथानक सन्दर्भ एवं भाषायी दृष्टि से आचारांग के उपोद्धात में प्रयुक्त प्रथम वाक्य के पाठ की प्राचीनता पर कुछ विचार के० भुजबली शास्त्री कन्नड़ में जैन साहित्य गोम्मट आइडोल्स ऑफ कर्णाटक
जैन कन्नड़ वाङ्गमय पंडितरल विद्वान् सुखलाल जी एक सुखद संस्मरण महाकवि रत्नाकर के कतिपय अध्यात्म-गीत वैदिक धर्म तथा जैन धर्म सिद्धि योग का महत्त्व
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४७-५१ ४७ २३-२५ ९-१३ २८-२९
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