________________
२५२
श्रमण : अतीत के झरोखे में
Jain Education International
लेख
अंक
ई० सन्
पृष्ठ
३२-३५
__२ ___३०
१० ३ १२
१९५९ १९५१ १९७९
३१-३४ १८-२२
१९७९
For Private & Personal Use Only
बद्रीप्रसाद स्वामी नया विहान-नया समाज बरट्रेन्ड रसल अतीत धर्म और साधु संस्था बृजकिशोर पाण्डेय आधुनिक सन्दर्भ में जैन दर्शन बृजनन्दन मिश्र तपोधन महावीर पंचयाम धर्म : एक पर्यवेक्षण ब्रजनारायण शर्मा प्राणातिपात विरमण : अहिंसा की उपादेयता बृजेश कुमारी घरों में बच्चे बलवन्तसिंह मेहता परम्परागत पावा ही भगवान् महावीर की निर्वाण भूमि बंशीधर पर्युषण पर्व का मतलब
१९६१ १९६४
५६-५७ २०-२३
___ ३८
५
१९८७
६-१५
३-४
१९५७
५४-६०
१९७२
२१-३०
www.jainelibrary.org
१९६१
१३-१४