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Jain Education International
अंक
ई० सन्
२६५ पृष्ठ
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख ममता गुप्ता जैन दर्शन और अरविन्द दर्शन में एकत्व और अनेकत्व सम्बन्धी विचार मशरूवाला आत्मा का बल
युवाचार्य महाप्रज्ञ गुग अंहिसा की समस्याएँ
जैन साहित्य में चैतन्य केन्द्रों का निरूपण प्रतिक्रिया है दु:ख मन की शक्ति बनाम सामायिक शुद्ध-अशुद्ध भावधारा शुद्धि चिकित्सा और सिद्धि का महान् पर्व संवत्सरी स्वभाव-परिवर्तन महावीर चंद धारीवाल सर्वोदय और जैनदृष्टिकोण महावीरप्रसाद गैरोला मनुष्य की परिभाषा महावीरप्रसाद 'प्रेमी' वैशाली और भगवान् महावीर का दिव्य संदेश
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