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वर्ष
अंक
ई० सन्
पृष्ठ ।
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१९६०३३-३५
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३५-३७
१९५९ १९५५ १९५८
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९-१२
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख भ्रमर जी सोनी उपजीवी समाज भंवरमल सिंघी जैन एकता मैं मुक्ति चाहता हूँ सार्वजनिक जीवन की शव परीक्षा भंवरलाल नाहटा आनन्दघन जी खरतरगच्छ में दीक्षित थे ओसवाल और पार्थापत्य सम्बन्धों पर टिप्पणी कल्पप्रदीप में उल्लिखित 'खेड़ा' गुजरात का नहीं राजस्थान का है कवि छल्ल कृत अरडकमल का चार भाषाओं में वर्णन । चण्डकौशिक उपसर्ग स्थान योगीपहाड़ी थुल्लवंश की एक अपूर्ण प्रशस्ति पश्चाताप पश्चाताप : एक विवेचन मंगल कलश कथा महोपाध्याय समयसुन्दररचित कथा-कोश राजस्थानी एवं हिन्दी जैन साहित्य
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१९८९ १९८९ १९८९ १९९२ १९७१ १९६६ १९८८ १९८८
२-१२ ८-१३ २५-२८ ५३-५८ ५-८ २१-१५ २३-२४ २२-२४ २६-३४ २४-२७
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