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लेख Problem of Suffering as Conceived in Jainism वरांगचरित में अठारह श्रेणियों के प्रधान : एक विश्लेषण सिरोही के प्राचीन जैन मन्दिर जैन धर्म में सरस्वती जैन दर्शन में प्रमाण का स्वरूप (क्रमश:) कुवलयमाला की मुख्य कथा और अवान्तर कथाएँ (क्रमश:) जैनागम-पदानुक्रम (क्रमश:)
अंक ६ ७ ७ ७ ७
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ई० सन् १९७५ १९७५ १९७५ १९७५ १९७५ १९७५
पृष्ठ २६-२९ ३-८ ९-१२ १३-१४ १५-१८ १९-२१
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक
वर्ष Dr. B.N. Tripathi २६ डॉ० रमेशचन्द्र जैन २६ श्री भूरचन्द जैन
२६ श्रीमती सधा जैन
२६ श्री रमेशमुनि शास्त्री २६ डॉ० के० आर० चन्द्र डॉ० मोहनलाल मेहता एवं श्री जमनालाल जैन
२६ Dr. B.N. Tripathi २६ डॉ० भागचन्द्र जैन 'भास्कर' श्री रतिलाल म० शाह २६८ डॉ० के० आर० चन्द्र २६ . श्री रमेशमुनि शास्त्री २६ डॉ० मोहनलाल मेहता एवं श्री जमनालाल जैन ___ २६ श्री फूलचन्द जैन ‘प्रेमी' २६ श्री प्रेमचन्द रावका
२६ .
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१९७५ १९७५ १९७५ १९७५ १९७५ १९७५
Problem of Suffering as Conceived in Jainism श्रमण-साहित्य में वर्णित विविध सम्प्रदाय भगवान् महावीर की निर्वाण-भूमि- कौन सी पावा कुवलयमाला की मुख्य कथा और अवान्तर कथाएँ (क्रमश:) जैन दर्शन में प्रमाण का स्वरूप जैनागम-पदानुक्रम (क्रमश:)
२२-२६ २७-३२ ३-१३ १४-१८ १९-२२ २३-२९
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मूलाचार में मुनि की आहार-चर्या हिन्दी काव्यों में महावीर
१९७५ १९७५ १९७५
३०-३२ ३-१३ १४-२०
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