________________
Jain Education International
or
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक पं० विश्वनाथ पाठक डॉ० लालचन्द जैन श्री रत्नेश कुसुमाकर डॉ० सागरमल जैन उपाध्याय अमर मनि जी
or
३१ ३१ ३१
ई० सन् १९७९ १९७९ १९७९ १९८० १९८०
पृष्ठ ३-८ ९-२२ २३-२७ ३-२१ २२-२५
or
'ल rrr mmm»»»»
३१
or
लेख वज्जालग्ग की कुछ गाथाओं पर पुनर्विचार ब्रह्माद्वैतवाद का समालोचनात्मक परिशीलन एलाचार्य मुनि श्री विद्यानन्द जी का सामाजिक दर्शन अहिंसा का अर्थ, विस्तार, संभावना और सीमाक्षेत्र
माँस का मूल्य ए बालकों के संस्कार निर्माण में अभिभावक,
शिक्षक एवं समाज की भूमिका धर्म क्या है (क्रमश:) त्याग का मूल्य हिंसा-अहिंसा का जैन दर्शन उतार चढ़ाव के बीच उभरती अहिंसा आत्मा और परमात्मा धर्म क्या है सामायिक का मूल्य सुख-दुःख जैन धर्म में भक्ति का स्थान महावीर संदेश दार्शनिक दृष्टि
For Private & Personal Use Only
or
२६-३८ १-८ ९-११ १२-१४ १५-१८
३१
३१
४
डॉ० सागरमल जैन डॉ० सागरमल जैन उपाध्याय अमर मुनि डॉ० मोहनलाल मेहता श्री शरदकुमार साधक डॉ० सागरमल जैन डॉ० सागरमल जैन उपाध्याय अमर मुनि श्री कन्हैयालाल सरावगी डॉ० सागरमल जैन श्री हरिओम सिंह
१९८० १९८० १९८० १९८० १९८० १९८० १९८० १९८० १९८० १९८०
Ww w ww
२-५ ६-८ ९-१३ १४-१७ १८-२१
www.jainelibrary.org
१९८०