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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री गणेशप्रसाद जैन श्री श्रेयांसकुमार जैन
वर्ष
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अंक ८
ई० सन् १९७८ १९७८
११३ पृष्ठ । २१-२५ २६-३१
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लेख जैन तीर्थंकरों का जन्म क्षत्रियकुल में ही क्यों ? काव्यशास्त्रियों की दृष्टि में श्लेष पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान के मार्गदर्शक पं० सुखलालजी
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श्री गुलाबचन्द जैन डॉ० लक्ष्मीचंद जैन श्री अगरचन्द नाहटा श्री रमेशमुनि शास्त्री डॉ० मायारानी आर्य श्री भूरचन्द जैन डॉ० नेमिचंद जैन पं० के० भुजबली शास्त्री श्री कन्हैयालाल सरावगी श्री भूरचन्द जैन Dr. M.L. Mehta Shree A. Majumdar श्री सनतकुमार जैन डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन श्री अगरचन्द नाहटा
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