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(१२) तथा ज्ञानना गुण ते एक जीवद्रव्यमां छे, वाकीना पांच द्रव्यमां नथी. ए मूल गुण कोइ द्रव्यना कोइ द्रव्यमां मळता नथी.
एक धर्मास्तिकाय, बीजो अधर्मास्तिकाय, त्रीजो आकाश, ए त्रण द्रव्यना त्रण गुण तया चार पयोय सरखाछे, अने अरुपी, अचेतन, अक्रिय ए त्रण गुणे करी काल द्रव्य पण ए समान छे.
हवे ए छ द्रव्यना गुण पर्याय स्वरुप जाणवाने सूत्रपाठ गाथा कहे छे. परिणामि जीव मुत्तौ सपएसी एगे खित किरिआएँ । णिचं कारण कत्ता सव्वगय इयर अप्पैवेसे ॥१॥
अर्थ. नयनिश्चये छए द्रव्य परि
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