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(६४)
२ अगुरु लघु अने क्षेत्रनी अपेक्षा न करे अने मूळ गुणने पिंडपणे ग्रहे ते एक द्रव्यार्थिक.
३ ज्ञानादिक गुणे सर्व जीव एक सरखा छे, माटे सर्व जीवोने एक कहे अने स्वद्रव्यादिकने ग्रहे ते सत् द्रव्यार्थिक जेम स लक्षणं द्रव्यम्
४ द्रव्यमां केहेवा योग्य गुण अंगीकार करे ते द्रव्यार्थिक जाणवो.
५ आत्माने अज्ञानी कही बोलाववो ते अशुद्ध द्रव्यार्थिक नय जाणवो.
६ सर्व द्रव्य गुण पर्याय सहित छे एम कहेतुं ते अन्वय द्रव्यार्थिक.
७ सर्व जीवनी मूल सत्ता एक छे ते परम द्रव्यार्थिक जाणवो.
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