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त्माने जाणी उपादेय करी ध्यावे, तेने सम
कित जाणवु.
चउदराज लोकनो खंध लोकाकाश सादिसांत छे. ते आवी रीते के लोकना मध्य भागे आठ रुचक प्रदेशथी मांडीने सादि छे. अने चउदराज लोकनो अंत आवे त्यां सांत तथा एक चउदराज लोकनो छेलो प्रदेश मुकीने पछे अलोकनी आदि लेवी, पण अलोकनो अंत नथी. माटे सादि अनंत को छे.
छद्रव्यना यथार्थ ज्ञानपूर्वक पांच द्रव्यनो त्याग परिणाम अने जीव द्रव्य आदरवानो परिणाम तेने समकित ज्ञान कहे छे. ते समकित ज्ञानथी भलुंज थाय छे, कां छे केनायम्मि गिन्हियव्वे
अगिहियव्वेअ इच्छ
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