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(२१४)
त्माने देव - गुरु मानीने अने तेने शुद्ध धर्मरूप मानीने ते सत्ताए तेनुं ध्यान करे छे तेथी तेओने शुद्धात्मज्ञानपरिणतियोगे निश्चय सम्यक्त्व होय छे. मारो आत्मा तेज देव गुरु धर्मरूप छे एवं वर्तनमां मूकीने तेनो वास्तवि क शुद्धात्म अनुभव निश्चय करवो ते अप्रमत्त दशा विना अन्य के जे नीचेना गुणस्थानकोमां रहेला जीवो छे तेओने आवी शके नहि एम अनुभवनिश्चय शुद्धात्मा परिणतिए तेनो भावार्थ समजी निश्चय सम्यक्त्वमां ते व्याख्या समावेश करी मतभेद दूर करी शकाय छे. श्रीमद् देवचंद्रजीए जे दृष्टिथी निश्चयनय सम्यक्त्वनुं लक्षण कथ्युं छे तेनो सत्य भावार्थ तो तेओ जाणे. परंतु सापेक्ष दृष्टिए सिद्धान्त शैलीए ए प्रमाणे घटावतां तेमना कथनमां विरोध जणातो नथी. देव गुरु अने
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