Book Title: Shaddravya Vichar Part 2
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal
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(२३२) जाय छे___ आ काळमां सम्यक्त्वनी प्राप्ति जेने थाय छे, तेने उत्तम भव्य जीव जाणवो. ॥ संमत्तंमि उ लद्धे, पलिअपुहुत्तेण सावओ हज्जा । चरणोवसमखयाणं, सागरसंखंतरा हुँति ॥ सम्यक्त्व प्राप्त थया बाद उत्तर देशविरत्यादि गुणोनी प्राप्ति थाय छे. गुरुनी विनय भक्तिवडे जे आराधना करे छे, तेने सम्यक्त्वनी प्राप्ति थाय छे. क्षयोपशमादि सम्यक्त्व योगे तीर्थंकर नाम बांधी शकाय छे. वीश स्थानकनी आराधना करनार जीव तीर्थकर नाम कर्म बांधे छे. सम्यक्त्व प्राप्त थया पश्चात् धर्मक्रियानी सफळता थाय छे.देव,गुरु,
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