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धर्मनो रागी अने मध्यस्थ मन्दकपायीजीप सम्यक्त्वनी प्राप्तिनो अधिकारी बने छे. मार्गानुसारी जीव सम्यक्त्वनी प्राप्ति करवाने अधिकारी बने छे. जेना मनमां सम्यक्त्वनी प्राप्ति माटे अत्यंत तीव्र जिज्ञासा होय, तेणे मार्गानुसारी प्रथम थq जोइए. मार्गानुसारीपणुं आव्या बाद सम्यक्त्वनी प्राप्ति थाय छे. आत्मज्ञानी आत्माना स्वरूपने अवबोधी आत्मानी शुद्ध गुण पर्यायमा रमणता करी समाधिवंत बनी अत्यंत अतीन्द्रिय आनन्दना अनुभवे सम्यक्त्वनी प्राप्ति करे छे. आत्माना सहजानन्दनो ओघ ज्यां छे त्यां सम्यक्त्व छे. देशविरति अने सर्वविरतिगुण प्राप्त करवाने माटे जेने खास काळजी होय, तेणे प्रथम सम्यक्त्वनी प्राप्ति कर
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