Book Title: Shaddravya Vichar Part 2
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

View full book text
Previous | Next

Page 233
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (२१८) उपशमनो अन्तर्मुहूर्त काल छे सास्वादननो उत्कृष्ट छ आवलिका मात्र,समय मात्र वेदक क्षायिकनो तेत्रीस सागरोपम अने क्षयोपशमनो सासठ सागरोपमनो काल जाणवो. सर्वार्थसिद्धादिनी अपेक्षाए क्षायिक सम्यक्त्वनी तेत्रीस सागरोपमनी स्थिति जाणवी. बावीस सागरोपम स्थितिवाळा देवपणे त्रण वार उत्पन्न थवाथी क्षयोपशम सम्यक्त्वनो छासठ सागरोपमनो काळ सिद्ध थाय छे अने तेमां नरभवतुं आयुष्य अधिक जाणवू. उकोसं सासायण-उवसमिया हुंति पंचवाराओ, वेयग खयगा इकसि-असंखवारा खओवसमो ॥ आखा भवचक्रमां जीवने सास्वादन www.kobatirth.org For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254