Book Title: Shaddravya Vichar Part 2
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal
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(२२४)
ष्टियो, नियमा त्रिपुंजवाळा होय छे. मिथ्यात्वं क्षीण थये छते वे पुंजी होय छे अने मिश्र क्षीण थये छते एक पुंजी होय छे अने सम्यक्त्व मोहनीय क्षीण थये छते क्षायिक सम्यक्त्ववंत थाय छे.
सम्यक्त्व पुद्गला अशोधितमदनको द्रवस्थानीया विरुद्धतैलादिद्रव्यकल्पेन कुतीर्थिकसंसर्गकुशास्त्रश्रवणादिमिथ्यात्वेन मिश्रिताः सन्तः तत्क्षण एव मिथ्यात्वं स्युः यदापि प्रपतित सम्यकूत्वः पुनः सम्यक्त्वं लभते तदापि अपूर्वकरणेन पुञ्जत्रयं कृत्वा अनिवृत्तिकरणेन सम्यक्त्वं पुञ्ज एव
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