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(२२८)
म्यक्त्वी थयो छे ते देवगति वा नरकगतिमां जाय छे तो त्यारे ते जीव तद्भवांतरित वीजा भवमां सिद्ध थाय छे अने पूर्व बद्धाशुष्क क्षायिक सम्यक्त्वी तिर्येच वा नरकगतिमां जाय छे तो ते अवश्याऽसंख्यवर्षायुष्केष्वेव नतु संख्येयवर्षायुष्केषु तद्भवानन्तरं च देवभवे ततो नृभवे सिद्ध्यतीति चर्तुथभवे मोक्षः अवश्य असंख्याता वर्षायुष्कोमां उपजे छे पण असंख्याता वर्षायुष्कवाळाओमां नहि. ते भव पश्चात् देवभवे अने त्यांथी मनुष्य भवमां सिद्ध थाय छे. जेणे पूर्व भवनुं आयुष्य बांध्युं नथी, एवो कोई मनुष्य क्षायिक सम्यक्त्व पामे छे तो ते तद्भवमां क्षपकश्रेणि
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