Book Title: Shaddravya Vichar Part 2
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
मय पछी उदय आववाना छे तेनी उदीरणा करी उदयमां लावी (एटले नानी जे स्थिति छे तेनी अंदर मेळवी भोगवी क्षय करे छे)
आनी उदीरणा बे आवलीका बाकी रहे थके टळी जाय छे. अहीया मिथ्यात्वना केटलाएक दलीयाओ क्षय थइ जाय छे. अहींयां पण जीव, रसघात-स्थितिघात, गुणश्रेणि अने अपूर्वबंध ए चारने करे छे. अहींयां जीव, अंतकरण करे छे. शेष एक आवलीका बाकी रहे थके त्रण पुंज करे छे. मिथ्यात्वना चौठाणीया रसवाळा दलीयाओ छे तेमांना केटलाएकने उच्चपरिणामवडे एकठाणीया करे छे अने केटलाएकने बे ठाणीया अने त्रण ठाणीया रसवाळा करे छे. केटलाएक तेवाने तेवा चौठाणीया रसवाळा
www.kobatirth.org
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254