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मय पछी उदय आववाना छे तेनी उदीरणा करी उदयमां लावी (एटले नानी जे स्थिति छे तेनी अंदर मेळवी भोगवी क्षय करे छे)
आनी उदीरणा बे आवलीका बाकी रहे थके टळी जाय छे. अहीया मिथ्यात्वना केटलाएक दलीयाओ क्षय थइ जाय छे. अहींयां पण जीव, रसघात-स्थितिघात, गुणश्रेणि अने अपूर्वबंध ए चारने करे छे. अहींयां जीव, अंतकरण करे छे. शेष एक आवलीका बाकी रहे थके त्रण पुंज करे छे. मिथ्यात्वना चौठाणीया रसवाळा दलीयाओ छे तेमांना केटलाएकने उच्चपरिणामवडे एकठाणीया करे छे अने केटलाएकने बे ठाणीया अने त्रण ठाणीया रसवाळा करे छे. केटलाएक तेवाने तेवा चौठाणीया रसवाळा
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