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(१८७) दलीया रहे छे एटले ते रसने सत्तामाने सत्तामा हीन करे छे. त्रण पुंज थया पछी जीव उपशम समकित पामे छे. आ करणनो अने उपशम समकितनो काळ अंतर्मुहूर्त्तनो छे. त्रण करणने प्रांते जीव उपशम समकित पामे छ. उपशम समकितनो काळ पूर्ण थया पछी जो एकठाणीया रसनो उदय थाय तो तेनुं नाम समकित मोहनीय जाणवू. ते वडे क्षयोपशम समकित प्राप्त थाय छे. बे अथवा त्रण ठाणीया रसनो उदय थाय तो मिश्रमोहनीय जाणवी. ते वडे मिश्रसमकित पामे छे, तेनाथी जीवने धर्ममां उदासीन वृत्ति थाय छे अने चौठाणीया रसनो उदय थाय तो मिथ्यात्व मोहनीय जाणवी. ते वडे जीव मिथ्यात्वने पामे छे. कर्मग्रंथना मते संसारचक्रमां
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