________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
के, तुं क्यां जाय छे ते वारे तेणे कडं के हुं, पाली लेवा जाउं छु. ते पाली तो हजु घडी नी पण मनविषे चिंतव्युं ते थइ एम गण्यु. तेम नैगम नय सर्व जीवने सिद्ध समान कहे छे. कारण के सर्व जीवोना आठ रुचक प्रदेश निर्मळ सिद्ध समान छे, तेथी एक अंशे सिद्ध छे, ते माटे सिद्ध समान सर्व जीव कह्या. ते नैगम नयना त्रण भेद छे. अतीत नैगम, अनागत नैगम, अने वर्तमान नैगम. आ प्रमाणे आगमसार ग्रंथमां कथ्युं छे. ___ नयचक्र बालावबोधमां नैगमनयना त्रण भेद कह्या छे. १ आरोप २ अंश ३संकल्प. तथा विशेषावश्यकमां चोथो भेद पण उपचारपणे कहे छे. नथी एकगमो-अ
www.kobatirth.org
For Private And Personal Use Only