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(११८) कालनो वर्तमान समय मटीने अतीतकाल थाय छे, तो ते समयमां वर्तमानपणानो विनाश छे, अने अतीतपणानो उपजवो छ, तथा काळपणे ध्रुव छ, ए स्थूलथकी उत्पाद व्यय अने ध्रुवपणो कह्यो अने वस्तुपणे मूलपणे ज्ञेयने पलटवे ज्ञाननो पण ते भासनपणे परिणमवो थाय छे, तेमा पूर्वपर्यायना भासननो व्यय, अने अभिनवज्ञेय पर्यायना भासननो उत्पाद, तथा ज्ञानपणानो ध्रुव, ए रीते सर्वगुणना धर्मनी प्रवृत्तिरूप पर्यायनो उत्पाद, व्यय श्री सिद्ध भगवंतमां पण समये २ थइ रह्यो छे.
ए धर्मास्तिकायना प्रदेशे जे क्षेत्रगत असंख्याता पुद्गल तथा जीवने पहेले समये चलण सहायीपणो परिणमतो हतो, तेज प्रदे
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