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(१२९) १ जे हिंसा करीने हर्ष पामे, बीजो कोई हिंसा करतो होय तेने देखी खुश थाय. अथवा युद्धनी अनुमोदना (प्रशंसा) करे, तेने हिंसानुबंधी रौद्रध्यान होय छे.
२ जुटुं बोली मनमा हर्ष पामे. अहो में केवु कपट कर्यु के-मारा जूठापणानी कोइने खबर पडी नहीं. एवो मृषावादरुप परिणाम, ते मृषानुबंधी रौद्रध्यान कहेवाय छे.
३ चोरी करी, ठगाइ करी, मनमां राजी थाय, अने चिंतवे जे मारा जेवो कोण बलवान् छे, के जे पारको माल खाय छे. चोरोने चोरी करवामां सहाय आपवाना परिणाम अने चोरी करनारनी प्रशंसारूप परिणाम ते अस्तेयानुबंधी रौद्रध्यान जाण.
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