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विषयथी, भमरो, पतंग, मृग अने मीन दुःख पामे छे, तो जे पांचे इंद्रियोना विषयोना वशमां थइ गया छे, तेनी शी गति थशे. अनादि काळथी संसारमां उंचनीच कुळमां जीव उत्पन्न थाय छे. पुण्यना योगे उंच कुळमां अवतरे छे. नीच कुळमां उत्पन्न थएलानी निंदा करी पाछो नीच कुळमां उत्पन्न थयो. एम है चेतन !!! तुं अनंतिवार उंचपणुं तथा नीचपणुं पाम्यो. बटाटा, शकरीयां, गाजरीयां, मूळा, आदु अने लसणमां जीव अनंतिवार उत्पन्न थयो, तो ते वखते जीवनुं उंचपणुं क्यां गयुं हतुं . एम समजी आठ मदने करीश नहीं. ए आठमद आत्माना गुणोनो नाश करनार छे. स्थूलभद्र, मरीचि अने सनत्कुमार आदि, एकेक मद करवाथी कटुक विपाकने पाम्या
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