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(१२८) एज हितकारक छे. वारंवार आ मनुष्यजन्म पामवो दुर्लभ छे. भव्यो!!! जो धर्मसामग्री पामी प्रमाद करशो, तो घणा भव भटकशो. अघोर दुःखमांथी छूटवानो आ उत्तम अवसर छे. एम ज्ञानीओ पुस्तक द्वारा जणावे छे.
आर्तध्यानना परिणाम पांचमा तथा छठा गुणठाणा सुधी होय छे. कारण के छटुं गुणठाणुं प्रमत्त छे, माटे त्यां ए ध्याननो परिणाम संभवे छे.
२ रौद्र ध्यान. १ हिंसानुबंधीरौद्रध्यान २ मृषानुबंधीरौद्रध्यान ३ अदत्तानुबंधीरौद्रध्यान ४ परिग्रहानुबंधीरौद्रध्यान.
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