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(१५५) २ अशरणभावना. २ संसारमा जीवने मरण समये शरण राखवा कोइ समर्थ नथी. माता, पिता, भाइ, बेन अने पुत्रादि जोतां शरीर मूकी जीव परलोक प्रयाण करे छे ते कोइनाथी रखातो नथी. राजा होय वा रंक होय, कीडो होय वा इंद्र होय, तो पण मृत्यु कोइ. ने मूकतुं नथी. चार गतिना जीवोने मरण थकी रक्षण करी शरण राखवा कोइ समर्थ नथी. एम विचारवू ते बीजी अशरणभावना जाणवी.
३ संसारभावना. ३ कर्मना योगे जीव चारगतिरूप संसारमा अनादिकालथी जन्म मरण करे छे,
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