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(१२३) भव्य प्राणीयोने ए बे ध्यान त्याग करवा योग्य छे. धर्मध्यान अने शुक्लध्यान ए बे शुद्ध उपास्य छे.
___ आर्तध्यान. मनमा आहट्ट दोहट्टना परिणाम ते आर्तध्यान कहीए. आर्तध्यानना चार पाया छे. ___ आर्तध्यानना ४ पाया छे १ इष्टवियोग २ अनिष्टसंयोग ३ रोगचिंता ४ अग्रशौच.
१ इष्टवियोग-पौद्गलिक वस्तु जे मनने आल्हादकारी लागे छे तेनो पोताथी वियोग थवाथी जेजे आहह दोहट्टना परिणाम थाय छे, तेने इष्ट वियोगनामा आर्तध्यान कहे छे. भाइ, मित्र, सज्जन, माता, पिता, स्त्री, पुत्र अने धन प्रमुख इष्ट वस्तुनो
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