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(९८)
सत्ता गुणे सिद्ध समान छे एटले पोताना जीवने सिद्ध करी ध्यावे ते अंतरात्मा जा. णवो. पुद्गल वस्तु पोताना आत्मानी नथी. आत्माथी शरीर, इंद्रिय, अने लेश्या वगेरे भिन्न छ, आत्मा अरूपी छ, पुद्गल (कर्मरुप ) रूपी छे, आत्मा चेतना सहीत छे, कर्म जड छे, आत्माने चार गतिमां भटकवानुं कारण कर्म छे. ते मारी वस्तु नथी, पण पर वस्तु छे. अरे हुं ए पर वस्तुने पोतानी मानी बेठो छु अने तेथी हुँ दुःखी थाउं छं. हे चेतन ! तुं अरूपी अनंत गुणनो भोक्ता छे. आठ कर्मना नाशथी तुं परमास्मा शुदात्मा स्वरूप थइश. कर्म रहित जेवा सिद्धना जीवो छ, तेवो सत्ताए तुं पण छे. कर्मना आवरणयी तारा गुण दवाइ गया
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