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(९२) हीए. पण एम कहेवू ते योग्य नथी, ए प्रमाणे तो सुखनी वांछाए मिथ्यात्वी पण घणा करे छे, पण सूत्रनी साखे वीतरागनी आज्ञाए हेय तथा उपादेयनी परीक्षा करवी, अजीवतत्त्व, तथा आस्रवतत्व तथा बंधतच्च उपर त्याग भाव, अने जीवना स्वगुण जे संवर निर्जरा अने मोक्ष तत्त्व उपरे उपादेय परिणाम तेने भाव कहे छे, ए चार निक्षेपा कह्या. ___ शब्दनयमां भावनी मुख्यता छ एम पण छे.
६ समभिरूढनय. जे वस्तुना केटलाक गुण प्रगटया छे अने केटलाक गुण प्रगटया नथी पण अवश्य प्रगटशे एहवी वस्तुने जे वस्तु कहे तेने सम
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