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(५८) छतिपणे तो अनादि अनंत छे. स्वकाल अगुरु लघुनो अनादि अनंत छे, अने असुरु लघु गुणनो उपजवो, तथा विणसवो ते सादि सांत छ. तथा स्वभाव गुण पर्याय ते अनादि अनंत छे अने भेदांतरे अगुरुलघु ते सादि सांत. छे. धर्मास्तिकायमा स्वद्रव्य जे चलण सहाय गुण ते अनादि अनंत छे, अने स्वक्षेत्र असंख्यात प्रदेश लोक प्रमाण छे ते अवगाहनापणे सादि सांत छ. स्वकाल ते अगुरुलघुगुणे अनादि अनंत छे अने उत्पाद व्यय ते सादि सांत छे. तेमज अधर्मास्तिकायना पण चार भांगा जाणवा. आकाशास्तिकायमां स्वद्रव्य अवगाहनादानगुण ते आनदि अनंत छे. अने स्वक्षेत्र लोकालोक प्रमाण अनंत प्रदेश ते अनादि अनंत छ. स्वकाल ते अगुरु
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