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(१८) छे. कारण के ज्ञान, दर्शन, चारित्र, तप वीर्य अने उपयोगरुप जीवनुं लक्षण तेमनामां नथी. जीव द्रव्य ते जीव छे, 'चेतनालक्षणो जीव इतिवचनात् ' ___छए द्रव्यमा पुद्गल द्रव्य मूर्तिमंत छ. अने शेष पांच द्रव्य अमूर्त छे. धर्म, अधर्म आकाश, अने काल ए चार द्रव्य अमूर्त छे. जीवद्रव्यना बे भेद छे. सिद्ध अने संसारी, तेमां सिद्धना जीव अमूर्तिमंत छ. अने संसारी जीवो कर्मोपाधिथी मूर्तिमंत छ. निश्चयनये जीव अरुपी छे माटे अमूर्ति कहेवाय छे. अने व्यवहारनये करी देवता, मनुष्य, तीर्यच अने नारकी रुप जीवना पांचसे त्रेसठ (५६३)
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