________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(४७) ते अनेकपणु छ, अने सर्व परमाणुमा पुद्गलपणुं ते एकज छे. जीव द्रव्य अनंता छे, एकेका जीवमा प्रदेश असंख्याता छे, तथा गुण अनंता छे. पर्याय अनंता छे ते अनेकपणुं छे, पण जीवितव्य सर्व जीवोमां एक स. रखं छे, माटे एकपणुं छे. . इहां शिष्य पुछे छे के-सर्व जीव एक सरखा छे तो मोक्षना जीव सिद्ध परमानंद मयी देखाय छे, अने संसारी जीव कर्मवश पडया दुःखी देखाय छे, तेनुं केम ? तेने उत्तर आपे, छ, के-निश्चयनये तो सर्व जीव सिद्ध समान छे, माटेज सर्व जीव कर्म खपावी सिद्ध थाय छे, तेथी सर्व जीवनी सत्ता एक छे, वळी शिष्य पुछे छे के जो सर्व जीव सिद्ध समान कहो छो तो अभव्य जीव पण
www.kobatirth.org
For Private And Personal Use Only