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(४८) सिद्ध समान छे एम ठयु, अने तेतो मोक्षे जाता नथी, तेनुं केम ? तेने उत्तर आपे छे के अभव्य ने कर्म चीकणां छे, अने अभव्यमां, परावर्त धर्म नथी, तेथी सिद्ध थता नथी, अभव्यने कर्मनो संबंध अनादि अनंतमे भांगे छे, तेथी कोइ काले ते मोक्ष जशे नहीं. भव्य जीवमां परावर्त धर्म छ माटे कारण सामग्री मळ्याथी पलटण पामे छे अने गुणश्रेणि चढीने सिद्ध थाय छे. आत्माना आठ रुचक प्रदेश, निश्चय नयथी भव्य तथा अभव्य सर्व जीवोना सिद्ध समान छे, माटे सर्व जीवनी सत्ता एक सरखी छे. ए आठ रुचक प्रदेशने कर्म बीलकुल लागतां नथी ते आचारांगमूत्रनी श्री शिलांगाचार्य कृत टीकाना लोकविजय अ
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