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संबंध अनादि छे. पण सिद्ध थाय, त्यारे अंत आवे छे, तेथी ए अनादि सांत बीजो भांगो जाणवो. देवता, मनुष्य, तिथंच अने नारकी प्रमुखना भव करवा, ते सादि सांत भांगो छे. जे जीव कर्म खपावी मोक्षे गया तेनी मोक्षपणे आदि छे, अने पार्छ संसारमा कोइ वखत आवq नथी माटे अंत नथी, तेथी ते आश्रयी सादि अनंत भांगोछे. अभव्य जीव साथे कर्मनो संबंध अनादि अनंत छ. जीव द्रव्यना चार गुण अनादि अनंत छ. जीवने कर्म साथे संयोग ते अनादि सांत छे, पण अभव्यने नहीं. अभव्यने कर्म संयोग अनादि अनंत छे. ___ धर्मास्तिकायमां चार गुण अने पांचमो खंध ते अनादि अनंत छे, तेमां अनादि सांत
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