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(५४)
ani गुंथ्यो तेना असंख्यातमा भागे हाल आगम रह्यां छे. ए छ द्रव्यमां आठ पक्ष कह्या.
हवे नित्य तथा अनित्य पक्षथी चतुर्भगी उपनी ते बतावे छे. जेनी आदि नथी अने अंत नथी ते अनादि अनंत पहेलो भांगो जाणवो. तथा जेनी आदि नथी पण अंत छे, ते अनादि सांत बीजो भांगो जाणवो. तथा जेनी आदि पण छे अने अंत पण छे, ते सादि सांत त्रीजो भांगो जाणवो. वळी जेनी आदि छे, पण अंत नथी, ते सादि अनंत नामे चोथो भांगो जाणवो.
हवे ए चार भांगा द्रव्योमां केवी रीते उतरे छे, ते बतावे छे.
जीव द्रव्यमां ज्ञानादिक गुण ते अनादि अनंत छे, नित्य छे. भव्य जीवने कर्म साथे
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