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स्थिति सहायपणो ते स्वद्रव्य जाणवो. आकाशास्तिकायनो मूल गुण अवगाहपणो ते स्वद्रव्य, कालद्रव्यनो मूल गुण वर्तना लक्षण पणो ते स्वद्रव्य जाणवो. तथा पुद्गल द्रव्यनो मूलगुण पूरण गलनपणी ते स्वद्रव्य जाणवो. जीव द्रव्यनो मूल गुण ज्ञानादिकचेतना लक्षणपणो ते स्वद्रव्य, ए छ द्रव्यनो स्वद्रव्यपणो को.
हवे षड् द्रव्यनो स्वक्षेत्र कहे छे-धर्मास्तिकाय अने अधर्मास्तिकायनो स्वक्षेत्र असंख्यात प्रदेशमय जाणवो. आकाश द्रव्यनो स्वक्षेत्र अनंत प्रदेशमय जाणवो. काल द्रव्यनो स्वक्षेत्र समयरूप छे, पुद्गल द्रव्यनो स्वक्षेत्र एक परमाणु छे. परमाणुआ अनंता छे. जीव द्रव्यनो स्वक्षेत्र एक जीवना असं
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