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(४४)
जता नथी, अने एक बीजानुं कोइकोइनुं काम पण करतां नथी. जेम कोइ दुकान उपर पांच वाणोतर रहेता होय ते सर्व पोतपोतानुं कार्य फरमाव्या मुजब कर्या करे, अने सह सहनी मर्यादामां चाले, तेम लोकमां छ द्रव्य भेळां रह्यां छे. छ द्रव्य पोतपोतानी मर्यादामां वर्ते छे, पण निश्चयनये कोइपण बीजामां मांहेमांहे भळतां नथी, माटे अप्रवेशीजाणवi. एरीते षड् द्रव्यनुं स्वरूप बार भांगे भव्य जीवोए जाणवु.
हवे एकेका द्रव्यमां आठ पक्ष कहे छे. आठ पक्षनां नाम - एक नित्य, बीजो अनित्य, त्रीजो एक, चोथो अनेक, पांचमो सत्, छठो अत्, सातमो वक्तव्य, आठमो अवक्तव्य.
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