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(३३) मान तथा अगुरुलघु ए चार पर्याय अनित्य जाणवा, पुद्गल द्रव्यना रुपी अचेतन, सक्रिय, पुरण गलन मिलन विखरण, ए चार गुण नित्य जाणवा तथा वर्णगंध रस अने स्पर्श अगुरु लघु सहित ए चार पर्याय अनित्य जाणवा. जीवद्रव्यना ज्ञान, दर्शने,चारित्र, अने वीर्य ए चार गुण, अने अव्यावाध, अमौर्तिक, अनवगाह, ए त्रण पर्याय एम सात नित्य जाणवा. एक अगुरु लघु पयार्य अनित्य जाणवो, ए रीते निश्चयनये करी छ द्रव्य नित्य पण कहीए, अने अनित्य पण कहीए. ____ हवे व्यवहार नये धर्म, अधर्म, आकाश,
अने काल, ए चार द्रव्य नित्य कहीए. तथा जीव अने पुद्गल ए बे द्रव्य अनित्य जाणवां. कारण के व्यवहार नये
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