________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
नये शुभाशुभ रुप विभाव दशामां रमण करवारुप क्रिया करतो होय तो कोइ काळे जीव मोक्ष पामेज नहीं. माटे निश्चय नये तो जीव पोताना स्वरुपमा रमवा रुपज क्रिया करे छे. निश्चय नये पुद्गल परमाणुआ पण अनादि कालना पोतानी मळवा विखरवारुप क्रिया करता जाय छे. ए रीते छए द्रव्य निश्चय नये पोतपोतानी क्रिया करे छे माटे सक्रिय छे. ___ व्यवहारनये धर्म, अधर्म, आकाश अने काळ, ए चार द्रव्य अक्रिय जाणवां. तथा जीव अने पुद्गल ए बे-द्रव्य सक्रिय जाणवां. कारणके व्यवहार नयने मते जीव, रागद्वेषरुप अशुद्धताए करी समय समय अ
www.kobatirth.org
For Private And Personal Use Only