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(११) काश; पुद्गल अने काल ए पांच द्रव्यनुंसाधर्मिपणु छे. जीवद्रव्यमा अचेतन गुण नथी, 'चेतनालक्षणोजीव इति वचनात्' साक्रियगुणे करी जीव तथा पुद्गल ए बे द्रव्यनुं व्यवहारथी साधर्म्य छे. कर्म थकी रहीत सिद्ध जीवोमा सक्रिय गुण नथी, बाकीना चार द्रव्यमा सक्रिय गुण नथी; गति सहाय गुण एक धर्मास्तिकायमा छे. बाकीना पांच द्रव्यमां नथी, स्थिति सहाय गुण एक अधर्मास्तिकायमां छे, बीजा पांच द्रव्यमां नथी. तथा अवगाहना गुण ते एक आकाशास्तिकाय द्रव्यमा छे, बाकीना पांच द्रव्यमां नथी. वर्तना गुण एक काल द्रव्यमां छे, बीजा पांच द्रव्यमां नथी. मिलण विखरण गुण पु. द्गल द्रव्यमां छे, बाकीना पांच द्रव्यमां नथी,
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