Book Title: Lekhendrashekharvijayji Abhinandan Granth
Author(s): Pushpashreeji, Tarunprabhashree
Publisher: Yatindrasuri Sahitya Prakashan Mandir Aalirajpur
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शुभकामना
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सद्गुरुवर का महत्त्व भारतवर्ष में आज से नहीं, सुदूर अतीत काल से रहा है।
हजारों चिंतको ने गुरुदेव के महत्व पर । हजारों पृष्ठ लिखे है। बिना सद्गुरुदेव के ज्ञान प्राप्त नहीं होता है। गुरु देव ही जीवन नौका के नाविक हैं। वे संसार समुद्र के काम, क्रोध, मोह आदि भयंकर आक्रों में से हमें सकुशल पार पहुँचाते है। सद्गुरुवर हमारे आध्यात्मिक जीवन मंदिर के झगमगाते दिपक है। उनकी कृपा दृष्टि से ही हमें ज्ञान-प्रकाश होता है जिसको लेकर जीवन की विघट घाटिओं को हम सकुशल पार कर सकते है।
परम श्रद्धेय, अध्यात्म योगी, मृदुभाषी पूज्य मुनिराज "कॉकण केशरी" श्री लेवेन्द्रविजयजी म.सा. सच्चे सदगुरुवर है। आपकी पवित्र प्रेरणा से ही जन-जन के अन्तर मानस में धर्म का संचार हुआ है। आपकी प्रेरणा से ही समाज में स्थान-स्थान पर संघ के उत्कर्ष कार्य हुए है। आपके प्रभाव से हम सभी चमत्कृत है। आपका मनोबल इतना मजबुत है कि जो कार्य हाथ में लेते है उन कार्य को पूर्ण करके ही रहते हैं। चाहे कितनी ही विपत्तियाँ आ जाये पर घबराने का नाम नहीं। आपके अद्भुत चमत्कारों एवं प्रभाव का हजारो जिव्हांओं से हम वर्णन नहीं कर सकते है।
"आकाश करु कागज, वनराज करूं लेखन
समुद्र कळं स्याही, तो भी गुरु गुण लिखे न जाय ॥" "कोंकण केशरी' पद समारोह का जो अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशित होने जा रहा है तो इस पुण्य प्रसंग पर हमारी ओर से हार्दिक अभिनन्दन करते हैं। और मंगल कामना करते है कि आपका शुभ आशिर्वाद हमें मिलता रहे।
भवरलाल मिश्रीमल सेवडीवाला
भारतनगर-बम्बई
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• सुख हो, समृद्धि हो, सत्ता हो और स्वाधीनता भी हो, ये चारों वस्तु हो किंतु उत्तम संस्कार रुपी अमृत न हो तो उक्त सभी वस्तु निर्जीव
पत्थर के समान होती।
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कसौटी पर कसे जाने का भाग्य कुंदन को ही मिलता है, कथिल को नही। अग्नि परीक्षा पापियों या अल्प (तुच्छ) आत्मा २५
की होती ही नहीं हैं, पुण्यशाली महात्माओं की ही होती हैं। tion International For Private & Personal Use Only
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