Book Title: Lekhendrashekharvijayji Abhinandan Granth
Author(s): Pushpashreeji, Tarunprabhashree
Publisher: Yatindrasuri Sahitya Prakashan Mandir Aalirajpur
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देनेवाला फल और साधन दोनों है।
आराधना और वह भी नमस्कार महामंत्र की आराधना महाराष्ट्र के लिये यह द्वितीय सुअवसर था। कल्याण के लिये तो यह प्रथम कल्याणकारी पर्व था। क्योंकी इससे पहले इस प्रकार के आयोजन इस नगर में नहीं हुए।
सोने में सुहागा :
श्री नमस्कार महामंत्र की आराधना के साथ ही श्री पार्श्व पद्मावती महापूजन का आयोजन भी किया गया। प्रतिदिन प्रात: साढे १० बजे पूज्य मुनिराज श्री लेखेन्द्रशेखर विजयजी की निश्रा में कच्छी हाल में "ॐ परमेष्ठि" की मधुर धुन के साथ क्रिया आरंभ होती थी इसके साथ ही सभी आराधक लयलीन हो जाते थे भाव विभोर होकर "ॐ परमेष्ठि" का पाठ करते थे। जब मुनिश्री ध्यान मग्र होकर "मंत्र जपो नवकार" गाते थे तो हाल में गहरी शांति छा जाती थी। सबके अन्दर अजीब सा उत्साह छा जाता था । नमस्कार महामंत्र के जाप की महिमा का तो वर्णन ही नही किया जा सकता है।
महामंत्र की आराधना के समय पुज्य मुनिराजश्री अपने प्रवचन में नमस्कार महामंत्र की महिमा का ऐसा अदभूत वर्णन करते थे, कि सुनने वाले एकदम तल्लीन हो जाते थे। मुनिश्री ने फरमाया कि नवकार एक अदभूत महामंत्र है। भवसागर तारण हार है यह आत्मिक और मानसिक शांति प्रदान करता है। यह जीवन और मन को सदैव निर्मल और पवित्र बनाने वाला है कष्टों से मुक्ति दिलाता है। रिद्धी सिद्धि प्रदायक है। सिद्ध शीला के समान हैं निरंतर ध्यान करते रहने पर मोक्ष रूप प्रदान करने वाला है। अगर सच्चे मन से एकाग्र होकर उसकी आराधना की जाये तो शुभ फलप्रदान करने वाला है। नमस्कार महामंत्र का जितना वर्णन किया जाय कम है। आप स्वयं इसका ध्यान करके जाप करके आराधना करके इसकी महिमा प्राप्त कर सकते है।
जैन धर्म व्यक्तिवादी नहीं, कर्मवादी और गुणवादी है की उपासना की जाती है। नमस्कार महामंत्र न केवल जैन के जन जन के लिये महामंत्र है। इसे कोई भी अपना है। इस महामंत्र में अलौकिक शक्ति है।
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इस आराधना में प्रत्येक आराधक को प्रतिदिन २० नवकार माला जाप करना होता है। १ माला में १०८ बार पूरा नमस्कार महामंत्र का ध्यान करना होता है इसी आराधना के दौरान श्री पार्श्व पद्मावती महापूजन का भव्य आयोजन रखा गया इस महापूजन का आयोजन यशवन्त हाल में रखा गया। मुनिश्री के मुखारविंद से माताजी के मंत्र का उच्चारण सुनकर उपस्थित जन समुदाय भक्ति भावना से झुम उठते थे। शाम को स्वामीभक्ति का आयोजन भी रखा गया था ।
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इसमें व्यक्ति की उपासना नहीं गुणों धर्मविलम्बियों के लिये अपितु संसार कर अपना हृदय पवित्र बना सकता
श्री महामंत्र आराधना और श्री पार्श्व पद्मावती महापूजन का भव्य आयोजन शा श्री जुहारमलजी छोगमलजी श्रीश्रीमाल परिवार की ओर से किया गया था। अतः नमस्कार महामंत्र के आराधकों की ओर से शा जुहारमलजी छोगमलजी श्रीश्रीमाल का शानदार स्वागत किया गया। इस अवसर पर पूज्य मुनिश्री ने फरमाया कि "आपका जीवन धर्माराधनामय, अनुष्ठानमय बनकर फले फुले और सुगंधित सुवास से सभी सुंगधित हो।"
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संसारी और संसार त्यागी, दोनों का संरक्षण करने वाली यदि कोई संजीवनी है तो वह है मात्र धर्म
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