Book Title: Lekhendrashekharvijayji Abhinandan Granth
Author(s): Pushpashreeji, Tarunprabhashree
Publisher: Yatindrasuri Sahitya Prakashan Mandir Aalirajpur
View full book text
________________
मोहना नगर में गुरु सप्तमी के पावन पर्व पर गुरुमंदिर में चमत्कारिक घटना हुई। आरती के पश्चात गुरुचरण से अमीझरणा हुआ। अनेक लोगो ने इसेदेखा। स्वयं मुनिराजश्री ने भी इस दृश्य को देखा। गुरुदेव की महिमा अपरम्पार है।
गुरु सप्तमी का कार्यक्रम सानन्द सम्पन्न कर मुनिराज श्री लेखेन्द्रशेखर विजयजी, मुनिराज श्री लोकेन्द्रविजयजी, साध्वी समुदाय सहित मोहपाडा रसायनी की तरफ विहार किया। मोहपाडा रसायनी के नुतन जिन मंदिर की प्रतिष्ठा हेतू पौष सुद पौर्णिमा दिनांक ११ जनवरी १९९० को नगर प्रवेश किया। यहाँ के नूतन जिन मंदिर में माघ शुक्ल ३ सोमवार दिनांक २९ जनवरी १९९० को प्रतिष्ठा का शुभ मुहुर्त तय था।
प्रवेश के पश्चात उपस्थित जन समुदाय को सम्बोधित करते हुए मुनिराजश्री ने अपने प्रवचन में फरमाया कि जिन शासन में प्रतिष्ठा का अपार महत्व है। जिन मंदिर बनवाना मूर्ति भराना
और प्रतिष्ठा कराना, जिन बिम्ब प्रतिष्ठित करना आदि कार्य से कर्म की निर्जरा होती है। और इस ओर प्रवृति रखने से आत्म श्रेय के मार्ग पर अग्रसर होता है।
भगवान श्री आदिनाथ आदि जिन बिम्ब और कलिकाल कल्पतरु श्रीमद्विजय राजेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. की गुरुमूर्ति की प्रतिष्ठा का शुभ मुहुर्त पूर्व निश्चित किया जा चूका था।
कल्याण चातर्मास के दौरान आसोज सदी पर्णिमा को मोहोपाडा (रसायनी) जैन श्री संघ ने पूज्य मुनिराज श्री की शुभ निश्रा में उपस्थित होकर प्रतिष्ठा कराने का अपने निर्णय से अवगत कराया। तब मुनि श्री ने सहर्ष अपनी स्वीकृति दी। तब से श्री संघ में अति आनन्द छाया हुआ था और आज मुनिश्री के नगर प्रवेश के साथ आनन्द के वातावरण में द्विगुणीत वृद्धि हुई।
माघ वदी ११ दिनांक २२ जनवरी से प्रतिष्ठा महोत्सव के कार्यक्रम की शुरुआत हुई। माघ सुदी १ को श्री पार्श्वपद्मावती माताजी की महापूजन का भव्य आयोजन रखा गया था। माघ सुदी २ को भव्य रथयात्रा का आयोजन किया गया था। इस विशाल रथयात्रा में करीब ३००० दर्शनार्थी शामील हुए। रात्रि में मुख्य मुख्य चढ़ावे बोले गये।।
माघ सुदी ३ दिनांक २९ जनवरी १९९० सोमवार को प्रतिष्ठा का दिन था। मोहोपाड़ा (रसायनी) के श्री संघ की बहु प्रतिक्षित समय की पूर्णाहूति होने जा रही थी। सुबह से ही चारो तरफ धर्ममय वातावरण में कार्यक्रम की चहल पहल चल रही थी। मुनिराजद्वय के मंदिर में प्रवेश के साथ ही "ॐ पुण्याहां पुण्याहां - प्रियन्ताम प्रियन्ताम" की ध्वनि से गगन गुंज उठा। और ठीक सवा दस बजे श्री आदिनाथादि जिन बिम्ब और गुरु मूर्ति को प्रतिष्ठित किया गया।
नुतन जिनमन्दिर में प्रतिष्ठा के पश्चात दर्शन वन्दन सामूहिक रुप से किया गया। बाद में एक विशाल जन सभा का आयोजन किया गया। इस सभा मे मुनिद्वय ने जिन शासन के महत्त्व को समझाया। मोहोपाड़ा श्री जैन संघ ने पूज्य मुनिराज श्री के प्रति आभार व्यक्त किया।
यहाँ का कार्यक्रम सानन्द सम्पन्न करके कोंकण प्रदेश की और विहार किया।
१००
संसार में ऐसे भी पुरुष है जो आपत्ति के आंधी-तूफान का पान कर लेते है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org