Book Title: Lekhendrashekharvijayji Abhinandan Granth
Author(s): Pushpashreeji, Tarunprabhashree
Publisher: Yatindrasuri Sahitya Prakashan Mandir Aalirajpur
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शासन और गुरुगच्छ की शोभा में अभिवृद्धि की"
पूणे पहुँचने में विलम्ब न हो इस कारण से मुनिराजद्वय और साध्वी मंडल ने २३ मार्च को ही विहार कर दिया। पूणे नगर में १ अप्रेल १९९० को नव निर्मित राजस्थान भवन में मंगल प्रवेश किया। उल्लेखनिय है, कि गत ८ वर्ष के पहले सन १९८२ में मुनिराज श्री लक्ष्मण विजयजी 'शीतल' महाराज साहब ने यहाँ का विवाद खत्म करके सभी को एकता के सुत्र में बांधा था। और इस एकता के स्वरुप यह राजस्थान भवन की जगह का शिलान्यास किया गया था। इसी भवन में इन ८ वर्ष के अन्तराल के बाद उनके ही शिष्यद्वय फिर यहाँ पधारे है। और आज मंगल प्रवेश हुआ है।
५ अप्रेल सन १९९० को पूणे केम्प में श्री संघ की ओर से श्री पार्श्व पद्मावती महापूजन का भव्य आयोजन किया गया। श्री महापूजन के बीच इस राजस्थान भवन के प्रेरणादाता पू.
ज श्री लक्ष्मणविजयजी 'शीतल म.सा. को हार्दिक श्रद्धान्जली अर्पित की गई। प.पू. मुनिराज श्री 'शीतलजी म.सा. के अथक प्रयास के फलस्वरुप इस भवन का निर्माणकार्य सम्पन्न हुआ। __फूलवाला चौक पूणे सीटी में ८ अप्रेल सन् १९९० रविवार को शाह देवीचन्दजी खीमाजी की ओर से श्री पार्श्व पद्मावती महापूजन का भव्य आयोजन रखा गया था। पश्चात् सौधर्म बृहत् तपोगच्छीय श्री संघ की तरफ से दिनांक ११ अप्रेल को श्री सिद्धचक्र महापूजन पढ़ाई गई। और संघ भक्ति स्वरुप स्वामीवात्सल्य का आयोजन रखा गया।
पूणे नगर में नवपद आराधना (आयम्बिल चैत्री ओली) की गई। इस आयम्बिल ओली में अनेक तपस्वीयों ने ९ दिन तक आयम्बिल की तपस्या की।
पूणे के उपनगर निगडी के श्री संघ में अपार हर्ष व्याप्त था। क्योंकि निगडी शहर में पूज्य मुनिद्वय की शुभ निश्रा में श्री पार्श्व पद्मावती महापूजन पढाई जानी थी और वह शुभ दिन नजदीक आता जा रहा था। दिनांक १६ अप्रेल १९९० को निगडी श्री संघ की ओर से निगडी गार्डन में महापूजन पढाई गई।
यहाँ के विविध कार्यक्रम सम्पन्न करके विहार कर मुनिद्वय साध्वी मंडल सहित वडगांव पधारे। वडगाँव के निवासी शा. मदनलालजी बाफना की ओर से इस अचिन्त्य महिमावन्त श्री पार्श्व पद्मावती महापूजन का भव्य आयोजन किया गया था। वैशाख वदी १२ तदनुसार दिनांक २२ अप्रेल १९९० को यह महा मांगलिक कार्यक्रम सानन्द सम्पन्न हुआ। मावळ तालूका के सभी धर्मप्रेमीयों ने सोत्साह इस महापूजन में भाग लिया। महापूजन के दौरान श्री मदनलालजी बाफना ने कहा:- "हमारे अहोभाग्य है, कि पूज्य मुनिराजश्री की पावन निश्रा में हमें महिमाशाली श्री पार्श्वपद्मावती महापूजन पढ़ाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।"
शीवाजीनगर पूणे के श्री संघ ने मुनिश्री की सेवा में उपस्थित होकर शीवाजी नगर में पंचान्हिका महोत्सव सह श्री पार्श्वपद्मावती महापूजन पढाने का विनम्र अनुरोध किया। इनके अनुरोध को स्वीकार करके मुनिराज श्री ने वैशाख सुदी ५ से ९ तक का समय प्रदान किया। पंचान्हिका महोत्सव में महापूजन के अतिरिक्त अठारह अभिषेक, और विविध प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम रखे गये थे।
मृत्यु के समय संत के दर्शन, संत का उपदेश और संघ का सानिध्य तो परम् औषधि रुप होता है।
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